कुशीनगर। रायबरेली जिले के सलोन में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र पकड़े जाने के बाद इसकी जांच में जुटे एटीएस को कई अहम सुराग मिले हैं।
सूत्रों का कहना है कि एक दिन में एक आईडी से सौ प्रमाणपत्र बनाए जा सकते हैं लेकिन रायबरेली में 500 से दो हजार तक प्रमाणपत्र बनाए गए। ऐसे में आशंका है कि बड़ी संख्या में प्रमाणपत्र कुशीनगर से भी बनाए गए।एटीएस की टीम ने जांच के लिए जन्म प्रमाणपत्र बनाने में इस्तेमाल किया गया लैपटॉप, मोबाइल और अन्य उपकरण भी कब्जे में लिया है।
माना जा रहा है कि लैपटॉप और मोबाइल की जांच में कई गहरे राज सामने आ सकते हैं।
आशंका है कि संजीव और सतीश ने दूसरे राज्य के लोगों के भी फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाए हैं। जिले में पहुंची एटीएस की टीम ने बृहस्पतिवार को सीएसपी संचालक संजीव से उसके घर पर एक घंटे तक पूछताछ की। इसके बाद सतीश सोनी को भी दबोचा और फिर दोनों को लेकर टीम लखनऊ चली गई। संजीव सिंह और सतीश सोनी कितने दिनों से फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बना रहे थे और कितने फर्जी प्रमाणपत्र दोनों ने मिलकर बनाए हैं
ऐसे तमाम सवालों के जवाब लैपटॉप और मोबाइल की तकनीकी जांच में सामने आने की उम्मीद है।
बिहार बॉर्डर के सीएसपी से हुआ फर्जीवाड़ा फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने के मामले में आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) फिलहाल जिले से दो आरोपियों को पूछताछ के लिए लखनऊ ले गया है और जल्द इस मामले में कुछ बड़े खुलासे संभव हैं। बिहार सीमा पर स्थित तरयासुजान क्षेत्र के भावपुर में सीएसपी की आड़ में किन लोगों के फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाए गए और वर्षों से चल रहे इस फर्जीवाड़े की मदद कितने फर्जी परिवार बसे और कहां बसे यह सवाल भी चर्चा में है। इस बात की भी आशंका बढ़ गई है कि संजीव और सतीश ने बांग्लादेशी रोहिंग्या के फर्जी प्रमाणपत्र कुशीनगर में भी जारी किए। ऐसे मेें यह मामला सुरक्षा व्यवस्था पर खतरे से भी जुड़ गया है। एटीएस की जांच और दोनों आरोपियों से पूछताछ में कुछ सनसनीखेज खुलासे हो सकते हैं।