बिहार के गोपालगंज जिले के रतन सराय के बेलसंड गांव के रहने वाले पंकज त्रिपाठी ने काफी कठिन परिस्थितियों में बॉलीवुड में अपना स्थान बनाया

0
128
बिहार के गोपालगंज जिले के रतन सराय के बेलसंड गांव के रहने वाले पंकज त्रिपाठी ने काफी कठिन परिस्थितियों में बॉलीवुड में अपना स्थान बनाया

बिहार के गोपालगंज जिले के रतन सराय के बेलसंड गांव के रहने वाले पंकज त्रिपाठी ने काफी कठिन परिस्थितियों में बॉलीवुड में अपना स्थान बनाया

रोजी-रोटी की तलाश में पटना के मौर्या होटल में वेटर तक की नौकरी की रंगमंच के रास्ते टेलीविजन और फिल्मों में स्थान बनाया। छपरा से रतन सराय तक के एक-एक स्टेशन का नाम पंकज त्रिपाठी के जुबान पर है। संघर्ष के दिनों में घर से पटना आने जाने तक का किराया नहीं होता था तब छोटी लाइन की ट्रेन जो हाजीपुर तक आती थी वही एक सहारा थी वह ट्रेन सुबह की 4:00 बजे रतन सराय स्टेशन पर आती थी।

बिहार के गोपालगंज जिले के रतन सराय के बेलसंड गांव के रहने वाले पंकज त्रिपाठी ने काफी कठिन परिस्थितियों में बॉलीवुड में अपना स्थान बनायाउन दिनों छोटी लाइन हुआ करती थी जब किसी ने चैन खिचि और ट्रेन रुक गई छुक छुक करती ट्रेन के साथ जिंदगी भागी जा रही थी और खुली आंखों से सपना देख रहा पंकज त्रिपाठी का मन पटना से उचटने ने लगा था। बचपन में गांव में खूब नाच देखा था पंकज त्रिपाठी ने। तब ग्रामीण इलाकों में लौंडा नाच का ही प्रचलन था नाच के मध्य में सामाजिक विषयों को लेकर नाटक होते थे और सामान्य से दिखते कलाकार पात्रों में कहीं गुम हो जाते थे यहीं से एक कलाकार ने जन्म लिया। पंकज त्रिपाठी की खासियत है कि आज भी उनकी मासूमियत जिंदा है आज भी उनके दिल और दिमाग में बेलसंड जिंदा है रतन सराय जिंदा है वह संघर्ष जिंदा है जिसने कदम कदम पर हौसले को टूटना नहीं दिया वह यादें जिंदा है जो अपने मां-बाप की आंखों में चमक के साथ उन्होंने देखी थी।

रतन सराय और छपरा के बीच मेरा भी रेलवे स्टेशन आता है राजापट्टी। हमने भी इसी स्टेशन से जिंदगी की पहली ट्रेन पकड़ी थी ट्रेन तो सरपट दौड़ गई पर स्टेशन आज भी वहीं खड़ा है। पंकज त्रिपाठी जैसे संघर्ष से खड़े शिखर नुमा कलाकारों पर बिहार को गर्व है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here