Rajsthan Khatu Shyam Ji ke Temple | Khatu Shyam Mandir | खाटू श्याम मंदिर | खाटू श्याम जी मंदिर
Khatu Shyam असल में भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे बर्बरीक हैं। इन्हीं की खाटू श्याम के रूप में पूजा की जाती है। बर्बरीक में बचपन से ही वीर और महान योद्धा के गुण थे और इन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे। इसी कारण इन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है।
Khatu Shyam Mandir राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी प्रसिद्ध है।
खाटू श्याम कौन हैं ? खाटू श्याम कौन है
Contents
- 1 खाटू श्याम कौन हैं ? खाटू श्याम कौन है
- 2 खाटू श्याम जी का पूरा नाम ? Khatu Shyam Ji ka Pura Name kya hai
- 3 खाटू श्याम मंदिर कहां है ? Khatu Shyam Mandir Kaha hai
- 4 खाटू श्याम के चमत्कार ? Khatu Shyam ke Chamtkar
- 5 खाटू श्याम का इतिहास ? Khatu Shyam Ka Itihas
- 6 खाटू श्याम मंदिर कहां है Khatu shayam Mandir Kaha hai
- 7 खाटू श्याम कौन सा भगवान है ?
- 8 खाटू श्याम मंदिर राजस्थान नियर रेलवे स्टेशन ? khatu Shyam Mandir Near Railway Station Ringus
- 9 खाटू श्याम जी के दर्शन का समय ? खाटू श्याम मंदिर
- 10 खाटू श्याम की फेमस चीज क्या है ?
- 11 खाटू श्याम में क्या प्रसाद चढ़ता है ?
- 12 खाटू श्याम को हारे का सहारा क्यों कहते हैं खाटू श्याम जी
- 13 खाटू श्याम को क्या वरदान मिला था?
- 14 खाटू श्याम जी के 11 नाम क्या है ?
- 15 खाटू श्याम जी का मंत्र क्या है? Khatu shyam Ji ka Mantra
खाटू श्याम जी भगवान कृष्ण के रूप में पूजे जाते हैं। वे राजस्थान के खाटू गांव में स्थित एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल हैं, जहां उनके प्रमुख मंदिर स्थित हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, खाटू श्याम जी घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक का अवतार हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से उनका नाम लेते हैं, उन्हें आशीर्वाद मिलता है और उनकी परेशानियाँ दूर होती हैं, बशर्ते वे इसे सच्ची श्रद्धा से करें।
खाटू श्याम जी का पूरा नाम ? Khatu Shyam Ji ka Pura Name kya hai
खाटू श्याम का असली नाम बर्बरीक था. बर्बरीक, महाभारत काल के पांडव पुत्र भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे. महाभारत के समय भगवान कृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया था कि कलयुग में उन्हें भगवान श्रीकृष्ण के नाम से पूजा जाएगा. बर्बरीक में बचपन से ही वीर और महान योद्धा के गुण थे. उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे, इसलिए उन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है
खाटू श्याम असल में भीम के पोते और घटोत्कच के बेटे बर्बरीक हैं। इन्हीं की खाटू श्याम के रूप में पूजा की जाती है। बर्बरीक में बचपन से ही वीर और महान योद्धा के गुण थे और इन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न कर उनसे तीन अभेद्य बाण प्राप्त किए थे। इसी कारण इन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है।
बर्बरीक को ही बाबा खाटू श्याम कहते हैं। इनकी माता का नाम हिडिम्बा है। खाटू श्याम की कहानी : बर्बरीक दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे। बर्बरीक के लिए तीन बाण ही काफी थे जिसके बल पर वे कौरवों और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे।
खाटू श्याम मंदिर कहां है ? Khatu Shyam Mandir Kaha hai
खाटू श्याम मंदिर भारतीय राज्य राजस्थान के सीकर जिले में सीकर शहर से सिर्फ 43 किमी दूर खाटू गांव में एक हिंदू मंदिर है।
खाटू श्याम के चमत्कार ? Khatu Shyam ke Chamtkar
खाटू श्याम जी को भगवान कृष्ण का कलयुगी अवतार माना जाता है. राजस्थान के सीकर ज़िले में स्थित उनके मंदिर में हर दिन लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं. मान्यता है कि खाटू श्याम जी सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और जीवन के दुख-संकट दूर करते हैं. खाटू श्याम जी से जुड़े कुछ चमत्कार ये हैं:
एक कथा के मुताबिक, साल 2015 से पहले एक शख्स की ज़िंदगी में कुछ भी ठीक नहीं था. पति की नौकरी नहीं थी, बच्चे की फ़ीस भी नहीं दे पा रहे थे और कोई मदद भी नहीं मिल रही थी. कुछ बचे पैसे जुटाकर वह कैंची धाम पहुंचे और बाबा के चरणों में बैठ गए. आंखें बंद करने के बाद उन्हें लगा कि बाबा ने उनका सिर दुलारा है और उनकी आंखों से अपने-आप पानी बहने लगा. आंखें खोलने के बाद उनका मन शांत हो गया और फिर से ज़िंदगी सही दिशा पकड़ने लगी. उन्हें और उनके पति को नौकरी मिल गई और उन्होंने घर भी खरीद लिया.
दिल्ली के धाम में बाबा श्याम के 2100 किलो अष्टधातु के चरण चिह्न को वर्ल्ड बुक्स ऑफ़ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है. पंचाना धाम, पानीपत में स्थित खाटू श्याम के एक प्राचीन मंदिर में एक ही तीर से बर्बरीक ने पीपल के पेड़ के सभी पत्ते छेद दिए थे.
खाटू श्याम का इतिहास ? Khatu Shyam Ka Itihas
बर्बरीक द्वारा अपने पितामह पांडवों की विजय हेतु स्वेच्छा के साथ शीशदान कर दिया गया। बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर दान के पश्चात श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजित होने का वर दिया। आज बर्बरीक को खाटू श्याम के नाम से पूजा जाता है। जहां कृष्ण ने उसका शीश रखा था उस स्थान का नाम खाटू है।
खाटू श्याम मंदिर कहां है Khatu shayam Mandir Kaha hai
खाटू श्याम मंदिर भारतीय राज्य राजस्थान के सीकर जिले में सीकर शहर से सिर्फ 43 किमी दूर खाटू गांव में एक हिंदू मंदिर है।
खाटू श्याम कौन सा भगवान है ?
माना जाता है कि श्री खाटूश्याम जी भगवान कृष्ण के कलयुगी अवतार है। राजस्थान के सीकर जिले में श्री खाटू श्याम जी का भव्य मंदिर स्थापित है। माना जाता है कि यहां पर भगवान के दर्शन करने मात्र से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है।
खाटू श्याम मंदिर राजस्थान नियर रेलवे स्टेशन ? khatu Shyam Mandir Near Railway Station Ringus
खाटूनगरी में आने के लिये रिंगस जक्शन (रेलवे स्टेशन) सबसे निकटतम है जो खाटूश्याम मन्दिर से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
खाटू श्याम जी के दर्शन का समय ? खाटू श्याम मंदिर
सुबह 8:00 से 9:00 तक, 10:00 से 12:00, शाम 4:00 बजे से शाम 6:00 व रात 8:00 से 9:30 बजे तक चार चरणों में दर्शन कराए जाएंगे। एक चरण के दर्शन के बाद मंदिर परिसर, मेला ग्राउंड आदि को सेनेटाइज करवाया जाएगा। मंदिर में सोशल डिस्टेंसिंग मंदिर के लिए 2 गज की दूरी पर सर्किल बनाए हैं।
खाटू श्याम की फेमस चीज क्या है ?
बाबा खाटूश्यामजी का मन्दिर जो प्रसिद्ध मकराणा मार्बल से बना हुआ है कस्बे का सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण है। खाटूश्यामजी को कलयुग के देवता माना जाता है।
खाटू श्याम में क्या प्रसाद चढ़ता है ?
इसके अलावा बाबा को मावा के पेडे भी बहुत ज्यादा पसंद है, जो भोग के रूप में बाबा को चढ़ाए जाते हैं। खाटू वाले श्याम को पंचमेवा प्रसाद भी काफी ज्यादा पसंद है। पंचमेवा को बादाम, काजू, छुआरा, मिश्री और किशमिश डालकर बनाया जाता है। यह बाबा का तीसरी सबसे पसंदीदा भोग है।
खाटू श्याम को हारे का सहारा क्यों कहते हैं खाटू श्याम जी
बर्बरीक नें भगवान कृष्ण को शीश काट कर भेंट कर दिया। श्री कृष्ण प्रसन्न हुए और बर्बरीक को वरदान दिया कि कलयुग में आप सदैव पूज्यनीय होंगे। अतः आपको मेरा ही रूप माना जाएगा। मान्यता है कि खाटू श्याम का जिसे आशीर्वाद मिल जाता है उसकी जीत तय होती है, इसलिए उन्हें हारे का सहारा कहते हैं।
खाटू श्याम जी के मां को लगा कि कौरवों की सेना अधिक होने के पांडवों को युद्ध जीतने में मुश्किल होगी. इसलिए उन्होंने बर्बरीक से वचन लिया कि,वह युद्ध में उसी पक्ष का साथ देंगे तो हार रहा होगा. बर्बरीक ने मां की आज्ञा मानकर वचन दिया कि, वह उसी पक्ष का साथ देंगे जो हार रहा होगा. इसलिए खाटू श्याम को हारे का सहारा
खाटू श्याम को क्या वरदान मिला था?
हिंदू धर्म में ध्वज को विजय का प्रतीक माना गया है। खाटू श्याम जी को निशान (ध्वज) अर्पित करने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है और आज भी बाबा श्याम को निशान चढ़ाया जाता है। निशान को झंडा और ध्वज कहा जाता है। निशान को बाबा श्याम द्वारा दिया गया बलिदान और दान का प्रतीक माना गया है।
खाटू श्याम जी के 11 नाम क्या है ?
सीकर की खाटू नगरी में बाबा श्याम का भव्य मंदिर है, जहां भारी भीड़ उमड़ती है. वैसे तो बाबा श्याम को खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है लेकिन क्या आपको बाबा के 11 अनोखे नामों के बारे में पता है?
- बर्बरीक
- मौरवी नंदन
- तीन बाण धारी
- शीश का दानी
- कलियुग के अवतारी
- खाटू नरेश
- लखदातार
- लीले का अश्वार
- खाटू श्याम
- हारे का सहारा
- श्री श्याम
खाटू श्याम जी का मंत्र क्या है? Khatu shyam Ji ka Mantra
- खाटू श्याम जी के बारे में कुछ और बातें:
- भक्तों का मानना है कि बाबा खाटू श्याम हर मुराद पूरी करते हैं.
- बाबा को गुलाब, इत्र, खिलौने, मावा के पेड़े, और पंचमेवा प्रसाद चढ़ाया जाता है. पंचमेवा में बादाम, काजू, छुआरा, मिश्री, और किशमिश डालकर बनाया जाता है.
- खाटू श्याम मंदिर में मन्नत मांगने से पहले मंदिर के पीछे वाले हिस्से में नारियल बांधने की परंपरा है. भक्तों का मानना है कि अगर नारियल नहीं बांधा जाए, तो मन्नत पूरी नहीं होगी.
- खाटू श्याम जी के कुछ जप मंत्र ये हैं:
- ॐ श्याम देवाय बर्बरीकाय हरये परमात्मने
- प्रणतः क्लेशनाशाय सुह्र्दयाय नमो नमः
- महा धनुर्धर वीर बर्बरीकाय नमः
- श्री मोर्वये नमः
- श्री मोर्वी नन्दनाय नमः
- ॐ सुह्र्दयाय नमो नमः
- श्री खाटूनाथाय नमः
- श्री शीशदानेश्वराय नमः
- ॐ श्री श्याम शरणम् मम:
- ॐ मोर्वी नन्दनाय विद् महे श्याम देवाय धीमहि तन्नो बर्बरीक प्रचोदयात्
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