Private Bank Finance Company ‘Credit Guarantee Scheme’ की आड़ में कर रही धोखाधड़ी

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Private Bank माइक्रो फाइनांस कम्पनियां सूक्ष्म उद्योगों से हमेशा दूरी बना कर रखती है।
Private Bank माइक्रो फाइनांस कम्पनियां सूक्ष्म उद्योगों से हमेशा दूरी बना कर रखती है।

Private Bank Finance Company ‘Credit Guarantee Scheme’ की आड़ में कर रही धोखाधड़ी

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Private Bank माइक्रो फाइनांस कम्पनियां सूक्ष्म उद्योगों से हमेशा दूरी बना कर रखती है।

लुधियाना : केंद्र सरकार ने देश के 7 करोड़ सूक्ष्म और लघु श्रेणी के कारोबारियों को बिना गारंटी के ऋण देने के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट की स्थापना की और देश के 164 बैंकों और वित्तीय संस्थानों को इस योजना को लागू करने के लिए रजिस्टर्ड किया। इनमें 12 सरकारी बैंक, 22 प्राइवेट बैंक, 45 गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियां, 10 लघु वित्त बैंक, 9 वित्तीय संस्थान और 6 विदेशी बैंक शामिल हैं।

इस स्कीम के अंतर्गत सरकार सूक्ष्म एवं लघु कारोबारियों से इस लोन के बदले कुछ शुल्क लेती हैं

Private Bank माइक्रो फाइनांस कम्पनियां सूक्ष्म उद्योगों से हमेशा दूरी बना कर रखती है।
Private Bank माइक्रो फाइनांस कम्पनियां सूक्ष्म उद्योगों से हमेशा दूरी बना कर रखती है।

और बैंकों को इस लोन का भुगतान न होने की स्थिति में 85 प्रतिशत तक पेमेंट का भुगतान करती है। इस स्कीम के अंतर्गत बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने पिछले वर्ष 11 लाख 65 हजार सूक्ष्म और लघु कारोबारियों को एक लाख 4 हजार करोड़ का बिना गारंटी का कर्ज दिया।

अब तक इन योजनाओं के अंतर्गत एक करोड़ 10 लाख कारोबारियों को 4 लाख 24 हजार करोड़ के लोन का लाभ मिल चुका है।

सरकार ने बजट में इस लोन में गारंटी की सीमा 5 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ कर दी है जिससे अब बैंक सूक्ष्म एवं लघु कारोबारियों को 125 करोड़ तक का लोन बिना गारंटी के दे सकते हैं।

Private Bank Finance Company 'Credit Guarantee Scheme' की आड़ में कर रही धोखाधड़ी
Private Bank Finance Company ‘Credit Guarantee Scheme’ की आड़ में कर रही धोखाधड़ी

इस सम्बन्ध में आल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के राष्ट्रीय अध्यक्ष बदीश जिंदल ने बताया के सूक्ष्म और लघु उद्योगों को बिना गारंटी के बैंकों से लोन देने के लिए सरकार की यह एक बेहतरीन योजना है जिसमें बैंक और वित्तीय संस्थान कारोबारियों को बिना किसी गारंटी के ऋण देते हैं और भुगतान न होने की सूरत में क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट इन बैंकों और वित्तीय संस्थानों को ग्राहकों के पास फंसे हुए कर्ज का 75 से 85 प्रतिशत भुगतान कर देता है और बैंकों और वित्तीय संस्थानों को 15 से 25 प्रतिशत का नुकसान खुद वहन करना पड़ता है।

ये बैंक और वित्तीय संस्थान बड़ी चालाकी से ऐसे कर्ज के लिए ग्राहकों से 25 प्रतिशत तक का फिक्स डिपाजिट ले लेते हैं जिससे रकम की वसूली न होने पर इन बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कोई वित्तीय हानि नहीं होती है। इस पर ये बैंक ग्राहकों को मामूली ब्याज अदा करते हैं और सरकार को भी ये बैंक ऐसे फिक्स्ड डिपाजिट की कोई जानकारी नहीं देते हैं।

High Risks होने के कारण Private Bank और वित्तीय संस्थान ऐसे ग्राहकों से मोटा ब्याज और अन्य शुल्क वसूलते हैं

और ऐसे कर्जों पर अक्सर बैंक 15 से 20 प्रतिशत तक ब्याज लेने के साथ साथ क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट का शुल्क वसूल कर बैंक अपने पैसे को क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट के पास सुरक्षित कर लेते हैं। ज्यादातर प्राइवेट बैंक छोटे कारोबारियों को ये लोन नहीं देते हैं और ये आरोप इससे साबित होते हैं कि पिछले वर्ष सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने 11 लाख 65 हजार सूक्ष्म और लघु कारोबारियों को एक लाख 4 हजार करोड़ का बिना ब्याज का कर्ज दिया गया जोकि औसतन 8 लाख 92 हजार प्रति व्यक्ति बनता है लेकिन प्राइवेट बैंक एच.डी.एफ.सी. ने मात्र 28817 कारोबारियों को 15914 करोड़ का कर्ज दे दिया जो प्रति व्यक्ति 55 लाख 22 हजार बनता है।

इसी तरह Axis Bank ने 16720 कारोबारियों को इस Scheme के तहत 7777 करोड़ का ऋण दिया जो प्रति व्यक्ति 46 लाख 51 हजार बनता है।

इसी तरह नॉन बैंकिंग Finance कम्पनियों ने भी पिछले वर्ष एक लाख 15 हजार सूक्षम एवं लघु कारोबारियों को 19260 करोड़ के कर्ज दिए जो प्रति व्यक्ति 16 लाख 68 हजार बनता है। इस तरह ये Private Bank माइक्रो फाइनांस कम्पनियां सूक्ष्म उद्योगों से हमेशा दूरी बना कर रखती है।

जिंदल ने बताया के वित्त मंत्री ने इस बजट में क्रेडिट गारंटी की सीमा को 5 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ कर दिया है

जिससे बैंक अब सू्क्ष्म और लघु उद्योगों को 125 करोड़ तक का कर्ज बिना गारंटी के दे सकते हैं। वित्त मंत्री का यह फैसला हैरान कर देने वाला है क्योंकि सूक्ष्म और लघु उद्योगों को शायद ही इतने बड़े कर्ज की जरूरत है। एम.एस.एम.ई. की नई परिभाषा के अनुसार सूक्ष्म उद्योगों के कारोबार की अधिकतम सीमा 5 करोड़ और लघु उद्योगों के कारोबार की अधिकतम सीमा 50 करोड़ है तो ऐसे में 125 करोड़ के ऋण का प्रावधान करना बेमानी है।

इस प्रावधान से मात्र बैंकों में भ्रष्टाचार बढ़ेगा और बैंक छोटे कारोबारियों से दूरी को बढ़ा देंगे।

इसलिए केंद्रीय एम.एस.एम.ई. मंत्री जीतन मांझी को पत्र लिखकर इस स्कीम के लिए बैंकों को ब्याज दर की दरें फिक्स करने के साथ-साथ बैंकों को एडवांस डिपाजिट न लेने के लिए आदेश देने और छोटे कारोबारियों को ज्यादा से ज्यादा कर्ज देने की मांग की गई है। ये भी मांग की गई है के इस योजना के अंतर्गत अधिकतम सीमा 5 करोड़ ही रखी जाए क्योंकि अधिक सीमा होने से बड़े बैंक घोटाले होने का अंदेशा है। और पढ़ें Micro Finance कंपनी से Loan दिलाने के नाम पर 30 लागोें से 50 हजार की ठगी

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